Sunday, October 26, 2008

बोनस और पत्नी

बोनस की जब घोषणापड़ी पत्नी के कान
लगी पति की खींचने, उस दिन से बनियान,
उस दिन से बनियान, हाँथ में लिस्ट थमाए,
सदी सैंडल गहने, जी भर के मंगवाए,
रहे ताकते हम, उन्होंने पूरे लुफ्त उठाये,
इसीलिए वे लक्ष्मीपति उल्लू कहलाये,

पूजा रिश्वत मैया ki

रिश्वत मैया की यहाँ पूजा हो चहूँ और,
बाबू अफसर मंत्री सब बंधे इसी की डोर,
बंधे इसी की डोर, खुशामद न करवाती,
बंद मिठाई के डिब्बे में घर पर आती,
आरजी-फर्जी कम इसी के बल पर होवें,
रिश्वत बाबू चपरासी तलवे धोवे,

फ्री एक संग एक

शादी के एक मौके पर हुई अनोखी बात,
वधु की छोटी बहन का वर ने पकड़ा हाथ,
वर ने पकड़ा हाथ, सास बोली क्या लफडा,
दिया हाथ बडकी का, क्यों छुटकी को पकड़ा,
दूल्हा बोला ' लगा मुझे आफर deewali'
फ्री एक संग एक, मिले बीबी संग साली,

Saturday, October 25, 2008

फूल

पथ के शूल फूल बन जायें,
वाट सरस हो तेरी,
तुम न थाको, मंजिल थक जाए,
यही कामना मेरी।

Tuesday, October 21, 2008

शेयर बाजार ऐसे ही चलता है

एक बार की बात है-एक गांव में एक व्यापारी आया और उसने घोषणा की कि वो बंदर खरीदना चाहता है. हर बंदर के वो १० रुपये देगा.

गांव और उसके आस पास के जंगल में बहुत बंदर थे. गांव वाले बंदर पकड़ पकड़ कर लाने लगे और व्यापारी उन्हें हर बंदर के १० रुपये देता गया. सैकड़ों बन्दर वो खरीदता गया और एक बहुत बड़े पिंजड़ेनुमा बाड़े में रखता चला गया.

धीरे धीरे बन्दर गांव में और आसपास के जंगलों में मिलना बन्द हो गये तो लोगों ने मेहनत करना बंद कर दिया.

फिर व्यापारी ने घोषणा की कि अब वो २० रुपये में बन्दर खरीदेगा. गांव वाले फिर से मेहनत करने लगे और दूर दूर से बंदर पकड़ कर लाने लगे. धीरे धीरे दूर से भी बन्दर मिलना बन्द हो गये. सप्लाई खत्म, सब फिर बैठ गये.

फिर उसने २५ रुपये की बात की. सप्लाई तो खत्म हो चुकी थी. बन्दर पकड़ना तो दूर, दिखना ही बन्द हो गये. अब उसने दाम बढ़ा कर ५० कर दिये. फिर उसे किसी कार्य से शहर जाना था, तो उसने अपने साहयक को अधिकार सौंप दिया और खुद शहर चला गया.

व्यापारी के शहर जाते ही, उसके सहायक ने गांव वालों से कहा कि ये पुरानी खरीद का माल तो शहर में ३५ रुपये में बेचना ही है. अगर तुम लोगों को खरीदना हो तो तुम लोग ले लो और व्यापारी जब वापस आयेगा, तो उसे ५० रुपये में बेच देना. सारे गांव वालों ने अपनी जमा पूंजी लगाकर उससे बन्दर खरीद लिए.

उसके बाद गांव वालों ने कभी उस व्यापारी को देखा और ही उसके सहायक को. दिखे तो बस सब तरफ बन्दर ही बन्दर.

अब तो आपको समझ ही गया होगा कि शेयर बाजार कैसे चलता है.

Wednesday, October 15, 2008

बहते पानी की सद्रश्य समय बह रहा है, वर्तमान समय ही हमारी अन्चलि में है !
वर्तमान का सदुपयोग ही भूत-भविष्य को सशक्त कर देता है !
भूतकाल सपना है और भविष्य कल्पना है, केवल वर्तमान ही अपना है !